एक भिखारी

एक भिखारी, कबीर साहब के पास आया और कुछ खाने के लिए मांगा, उस समय खाने के लिए कुछ नही था, तो कबीर जी ने उसे पशम के धागे का गोला दे दिया। भिखारी ने धागे का जाल बनाकर मछली पकड़ने के लिए तलाब में फेंका, तो जाल मे काफी मछलियाँ फस गयी और उसने बेच दी,

 

भिखारी रोज ऐसे ही करता, कुछ सालों मे वह बहुत अमीर आदमी बन गया। एक दिन भिखारी, कबीर जी के पास सोना चांदी लेकर गया और अमीर होने की सारी कहानी बतायी, तो कबीर जी बहुत पछताए और उस भिखारी को कहा कि तुमने जितनी भी मछलियों को मारा है उन सब का आधा पाप मुझे लगेगा, क्योंकि मैं तुम्हें वो धागा नही देता तो तुम कभी मछलियाँ नही पकडते, कबीर जी ने-उसे आगे से अच्छे काम करने का उपदेश दिया।, शिक्षा-हमें भी सोच समझकर दान करना चाहिए,क्योंकि अगर हमारा किया हुआ दान किसी गलत काम में लगेगा तो उसका फल हमे भी भोगना पडेगा, इसलिए दान हमेशा गुरु घर में करें, ताकि उसका सदुपयोग हो सके, और संगत की सेवा कर, हम अपना जीवन सफल कर सकें।

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